अमेरिकी यायावर
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उत्तर पूर्वी अमेरिका और कैनेडा की रोमांचक सड़क यात्रा की मनोहर कहानी
रिसेप्शन पर पहुँच कर हमने अपने नाम बताए। रिसेप्शनिष्ट ने मेरा ड्राइविंग
लाइसेंस और क्रेडिट कार्ड माँगा। मैं सोच रहा था कि वह संभवतः मेरी एन का पहचान
पत्र भी माँगेगा। परंतु मुझे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि उसने ऐसा कुछ भी
नहीं कहा। संभवतः दो वयस्क लोग होने पर एक ही व्यक्ति का पहचान पत्र काफी होता
होगा। हमें कमरा नंबर 412 में रुकना था और यह कमरा चौथी मंजिल पर था। लिफ्ट
लेकर हम ऊपर गये और कमरे के दरवाजे के सामने जाकर चुम्बकीय प्रवेश कार्ड जो कि
दिखने में क्रेडिट कार्ड जैसा ही होता है, अपने कमरे का दरवाजा खोला। कमरे में
प्रवेश करते ही मुझे वहाँ की सफाई देखकर और यह जानकर कि वहाँ दो अलग-अलग बिस्तर
पड़े हुए थे, राहत महसूस हुई।
मैं तुरंत बाथरूम जाना चाहता था, परंतु कमरे में घुसते मेरी एन सीधे बाथरूम के
अंदर चली गई। मैं उसके बाहर निकलने की प्रतीक्षा करता रहा, लेकिन अधिक
देर तक स्वयं पर नियंत्रण करना मेरे लिए कठिन होने लगा। अपने आपको किसी प्रकार
संभाले हुए मैं एक-दो मिनट तक रुका रहा। तभी अचानक मुझे याद आया कि नीचे
रिसेपशनिष्ट के आस-पास भी कहीं-न-कहीं सार्वजनिक बाथरूम भी होगा। मैने बाथरूम
के दरवाजे के बाहर से आवाज लगाई और मेरी एन से कहा, “मैं नीचे जाकर आता हूँ।“
आगमन वाली मंजिल पर रिसेप्शनिस्ट के पीछे ही गलियारे में बाथरूम थे। किसी तरह
अपने आपको संभाले हुए मैं वहाँ तक पहुँचा और अपने आपको निवृत्त किया। अब नीचे
तक आ ही गया हूँ तो सोचा कि कार से सामान निकाल कर ले चलूँ।
कार के ट्रंक से अपना सामान निकाला तो वहीं रखा मेरी एन का बैग भी उठा लिया और
कमरे में वापस पहुँचा। अब तक मेरी एन सोफे की सीट पर बैठी टीवी के चैनल बदल रही
थी। अपना बैग मेरे हाथ में देखकर उसने आगे बढ़कर बैग ले लिया और मुझसे बोली,
“धन्यवाद।” मैंनें भी स्वाभाविक तौर पर से उसे उत्तर में कहा, “कोई बात नहीं।”
तत्पश्चात् पुनः जाकर कार से अपना लैपटाप का बैग निकालने गया। आगे की योजना
बनाने के लिए इंटरनेट पर इसके संबंध में देखना आवश्यक था।
मैं जब तक वापस कमरे में पहुँचा, मेरी एन बाथरूम से निकल कर अपने सामान में कुछ
ढूँढ रही थी। मैने उससे पूछा, “आप भोजन के लिए कहाँ जाना चाहती हो?” वह बोली,
“मैं कहीं भी जा सकती हूँ।“ मैं इंटरनेट पर जाकर होटल के आस-पास के सभी
रेस्त्राँ देखने लगा। मैने मेरी एन से पूछा, “आपको किस प्रकार का भोजन अच्छा
लगता है? वह बोली, “मुझे किसी प्रकार का भोजन भी चलेगा।“ उसके यूरोपियन होने के
ख्याल से मैंने एक ओलिव गार्डन का पता ढूँढा, फिर उससे पूछा, “ओलिव गार्डन कैसा
रहेगा?” उसने उत्तर दिया, “हाँ ओलिव गार्डन अच्छा रहेगा।“
हम लोग दिन भर के पहने हुए कपड़े बदल कर और अपने हाथ-मुँह धोकर ओलिव गार्डन की
ओर चले। कार में बैठते ही मेरी एन ने जीपीएस में ढूँढ़ कर सबसे निकट के ओलिव
गार्डन का पता अंकित किया। वह बड़ी सतर्कता से मुझे जीपीएस के निर्देशों को याद
दिलाती रही। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि उसे कितनी शीघ्रता से जीपीएस की कार्य
प्रणाली और उसके निर्देश समझ में आने लग गये थे। मैं कई बार जीपीएस का प्रयोग
कर चुका हूँ, परंतु अब भी सड़क पर लगे मार्ग निर्देशों और जीपीएस के मार्ग
निर्देशों के बीच में क्या करना यह समझने में अक्सर चूक जाता हूँ। ओलिव गार्डन
में उसने चिकन का कोई व्यंजन लिया और मैने अपने लिए वैजिटेरियन पिजा की स्लाइस
और सूप लिया। उसने भी कोई सूप लिया। भोजन करने के बाद हम वापस होटल पहुँचे। पर
वहाँ अंदर जाने से पहले मुझे याद आया कि पोटोमेक नदी के सामने ध्वनि और प्रकाश
का कार्यक्रम होता है। कुछ हद तक वैसा ही जैसा कि लाल किले में होता है। मैने
मेरी एन से पूछा, “क्या आप पोटोमैक नदी पर अमेरिकी इतिहास के विषय में जानकारी
देना वाला ध्वनि और प्रकाश का कार्यक्रम देखने जाना चाहेगी?” मेरी एन ने सहमति
में सिर हिला दिया। हम जैफर्सन स्मारक के पास वाली जगह पहुँचे जहाँ प्रकाश और
ध्वनि का कार्यक्रम चल रहा था। इस बार दिन की अपेक्षा हमें पास की पार्किंग मिल
गई। लगभग एक घंटे का कार्यक्रम देखते हुए हमने किस प्रकार अमेरिका ने
स्वतंत्रता प्राप्त की और कैसे गुलामी प्रथा का अंत हुआ आदि घटनाओं के बारे में
जानकारी प्राप्त की।
अब तक रात का लगभग साढ़े नौ बज रहा था। वहाँ से निकल हम वापस पुनः अपने होटल
पहुँचे। मैंने और मेरी एन ने रास्ते में विचार कर आगे के कार्यक्रम के बारे में
तय किया। हम दोनों का ही यह ख्याल था कि कल के दिन का अधिकतर समय संग्रहालयों
में गुजारेंगे। होटल के कमरे में जाकर मैंने टीवी खोल लिया। जो चैनल सबसे पहले
आया उसमें “हाउ आई मेट योर मदर” का कोई अंक आ रहा था।
मैं सुबह तीन बजे से उठा हुआ था, आराम कुर्सी पर बैठकर टीवी में आ रहा
कार्यक्रम देखते हुए मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। जब नींद खुली तो सेल
फोन की घड़ी रात के 2 बज कर 13 मिनट दिखा रही थी। मेरी एन एक बिस्तर पर सो रही
थी और मेरी तरफ वाला बिस्तर अभी तक अनछुआ पड़ा था। मेरी गर्दन कुछ अकड़ गई थी
क्योंकि आराम कुर्सी पर सर लुढ़क जाने के कारण गर्दन तिरछी हो गई थी। टीवी पर
इस समय कोई डाक्यूमेंट्री आ रही थी। मैने उठकर टीवी को बंद किया और अपने बिस्तर
में लेटकर सो गया।
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