उपयोगी हिंदी व्याकरण
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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
पक्ष
क्रियाप्रक्रिया (क्रिया व्यापार) को दो दृष्टियों से देखा जा सकता है। पहली
दृष्टि में हम देखते हैं कि क्रिया की प्रक्रिया आरंभ होने वाली है या आरंभ
हो चुकी है, या वर्तमान में चालू है या पूरी हो चुकी है। जैसे— पानी बरसने की
क्रिया-प्रक्रिया को इस दृष्टि से देख सकते हैं कि पानी बरसने वाला है या बरस
रहा है या बरसने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है आदि। इस दृष्टि का आधार यह है
कि प्रत्येक क्रिया को समय की दृष्टि से आरंभ होने से अंत होने तक कुछ
समय-लगता है और प्रक्रिया को विभिन्न चरणों-सोपानों से गुजरना होता है। दूसरी
दृष्टि में हमें आंतरिक समय या चरणों-सोपानों में कोई रुचि नहीं है; हम पूरी
क्रियाप्रक्रिया को इकाई में देखते हैं। उदाहरणार्थ जब हम कहते हैं कि वर्षा
ऋतु में पानी बरसता है तो हमारी रुचि पानी बरसने के विविध
चरणों-सोपानों से नहीं है। बल्कि हम पानी बरसना को एक स्वायत्त इकाई मानते
हैं।
उपर्युक्त बताई गई दोनों दृष्टियों से प्रमुख पक्ष सोदाहरण दिए जा रहे हैं:
1. क. आरंभद्योतक पक्ष: यहाँ क्रिया आरंभ होने की सूचना मिलती
है।
अब वह पढ़ने लगा है।
वह पढ़ने को जा ही रहा है।
ख.सातत्वद्योतक पक्ष: यहाँ क्रिया की प्रक्रिया इस क्षण चालू है, यह
सूचना मिलती है।
वह बच्चा कितना अच्छा खेल रहा है।
उस समय मोहन बहुत रो रहा था।
ग. प्रगतिद्योतक पक्ष: यहाँ क्रिया निरंतर प्रगति कर रही है वह
प्रकट होता है।
भीड़ बढ़ती जा रही थी।
वह कितनी तेजी से बढ़ता चला आ रहा है।
घ. पूर्णताद्योतक पक्ष: यहाँ क्रिया पूरी या समाप्त हो चुकी है यह
स्पष्ट होता है।
मैं अब तक काफी पढ़ चुका हूँ।
उसने तो काफी पढ़ रखा है।
1. क. नित्यताद्योतक पक्ष: यहाँ क्रिया नित्य (-सदा बनी) रहती
है, उसका आदि अंत नहीं होता।
पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है।
सूरज पूरब में निकलता है।
ख. अभ्यासद्योतक पक्ष: यहाँ क्रिया आदत (स्वभाव) के कारण (अभ्यास
से) हुआ करती है।
मोहन रोज सुबह तड़के उठता है और मंदिर जाता है।
वह रातभर पढ़ता था तब पास हुआ।
सर्दियों में बहुत जाड़ा लगता है।
वह तो ऐसा लिखता ही रहता है।
मैं प्रायः यह किताब पढ़ लिया करता हूँ।
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