उपयोगी हिंदी व्याकरण
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हिंदी के व्याकरण को अघिक गहराई तक समझने के लिए उपयोगी पुस्तक
2. मौखिक और लिखित भाषा
सामान्यतः भाषा में अभिव्यक्ति के दो रूप हैं – मौखिक और लिखित। मौखिक रूप
भाषा का मूल रूप है। मौखिक रूप मानव को सहज रूप में प्राप्त होता है जबकि
लिखित रूप को सीखने में विशेष प्रयत्न की आवश्यकता पड़ती है। भाषा का मौखिक
रूप व्यक्ति के जीवन और समाज के विकास-क्रम में भी पहले आता है और लिखित रूप
बाद में। लेखन-क्रिया केवल एक युक्ति है, जिससे भाषा का उच्चरित या मौखिक रूप
दृश्य-संकेतों द्वारा अंकित किया जाता है। इस प्रकार लेखन दिखाई पड़ने वाले
प्रतीक-चिह्नों द्वारा भाषा को लिपिबद्ध करने का एक साधनमात्र है। ध्वनियों
को अंकित करने के लिए निश्चित किए गए इन चिह्नों की व्यवस्था को लिपि कहते
हैं। इन लिपि चिह्नों का ज्ञान ही अक्षर ज्ञान है। जब हम कहते हैं कि कोई
पढ़ा-लिखा नहीं है, तो इसका मतलब होता है कि उसे अक्षर-ज्ञान नहीं है
अर्थात्/ वह साक्षर नहीं है – उसे बोलना आता है लेकिन लिखना नहीं। भाषा के
मौखिक रूप को ही, निश्चित और स्थायी रूप देने के लिए, लिखित स्वरूप प्रदान
किया गया है और यही लिखित रूप भाषा को सुरक्षित रखता है और मानक रूप प्रदान
करता है। उदाहरण के लिए संस्कृत का विपुल साहित्य हम हिंदी भाषियों को
देवनागरी लिपि के माध्यम से आज प्राप्त है। समाज में एक-दूसरे को ही
जोड़ने में भाषा के लिखित रूप का महत्त्वपूर्ण योगदान है, साथ ही वह ज्ञान की
संचित राशि को आगे की पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखता है।
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