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शुक्रवार व्रत कथा

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :18
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9846
आईएसबीएन :9781613012406

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इस व्रत को करने वाला कथा कहते व सुनते समय हाथ में गुड़ व भुने चने रखे, सुनने वाला सन्तोषी माता की जय - सन्तोषी माता की जय बोलता जाये

शुक्रवार की आरती

जय सन्तोषी माता, मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।। मैया जय...

सुन्दर चीर सुनहरी माँ धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार कीन्हो। मैया जय...

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।
मंद हँसत करुणामयि त्रिभुवन मन मोहे।। मैया जय...

स्वर्ण सिंहासन बैठी चँवर डुले प्यारे।
धूप दीप मधु मेवा, भोज धरे न्यारे।। मैया जय...

गुड़ और चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।
संतोषी कहलाई भक्तन विभव दियो।। मैया जय...

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सो ही।
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मो ही।। मैया जय...

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।। मैया जय...

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।। मैया जय...

दुखी दरिद्री रोगी संकट मुक्त किये।
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिये।। मैया जय...

ध्यान धरे जो तेरा वाँछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।। मैया जय...

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।। मैया जय...

सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।। मैया जय...

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