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रवि कहानी
रवि कहानी
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2015 |
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9841
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आईएसबीएन :9781613015599 |
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1 पाठकों को प्रिय
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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी
रवीन्द्रनाथ की पहली छपी हुई किताब ''कवि कहानी'' थी। मैंने उसी की नकल में इस किताब का नाम ''रवि कहानी'' रखा है। रवीन्द्रनाथ सिर्फ कवि ही नहीं, यहां तक कि निबंधकार, उपन्यासकार, कहानीकार ही नहीं थे, वे इन सबसे अलग कुछ और भी थे। इस किताब में मैंने उनके सामाजिक और राजनैतिक विचारों पर बल दिया है। हालांकि उन्होंने अपने बारे में कहा है कि वे सिर्फ एक ''कवि'' ही हैं, लेकिन हम लोग जानते हैं कि यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। इसके अलावा साहित्यकार रवीन्द्रनाथ के बारे में न जाने कितना कुछ कहा और लिखा जाता है, इसीलिए मैंने रवीन्द्रनाथ के एक दूसरे रूप के बारे में ज्यादा जोर दिया है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक इस देश की तरह-तरह की घटनाओं ने उन्हें प्रभावित किया था, इस बारे में उन्होंने लंबे बयानों और निबंधों के जरिए अपनी राय जाहिर की थी। बचपन में हिन्दू मेला में वे स्वदेशी की जिस विचारधारा से प्रभावित हुए थे, वे जीवन भर उसी का पालन करते रहे। उन दिनों के तीन प्रधान राजनेता-महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचंद्र बोस से उनकी काफी निकटता थी। गांधी जी के विचारों से उनका कई बार मतभेद रहा, लेकिन दिल से वे हमेशा उनके साथ रहे। वे जवाहरलाल नेहरू को ''ऋतुराज'' और सुभाषचंद्र बोस को ''देशनायक'' के नाम से पुकारते थे। मैंने जहां जरूरत समझी है वहां रवीन्द्रनाथ की कुछ किताबों का जिक्र भी किया है। विस्तार से मैंने उनके बारे में इसलिए नहीं लिखा है क्योंकि अमूमन उनसे सभी परिचित हैं। इस किताब को लिखते समय मैंने प्रभात कुमार मुखर्जी की लिखी ''रवीन्द्र जीवनी'' से काफी सहायता ली है। उनका मैं बेहद आभारी हूं। इस पुस्तक को छापने के लिए नेशनल बुक ट्रस्ट को मैं धन्यवाद देता हूं।

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