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मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले

विवेक सिंह

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :46
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9836
आईएसबीएन :9781613012741

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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।

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अफीम का नशा करके अपने चार अफीमची दोस्तों के साथ मुल्ला कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे प्यास लगी। तलाशने पर एक कुँआ भी मिल गया परन्तु कुँए पर तेज धूप थी। धूप की वजह से कुँए का पानी गरम होगा, इसे धक्का लगाकर पहले छाया में कर लें। जब यह ठण्डा हो जायेगा तो ठण्डा-ठण्डा पानी पियेंगे।' मुल्ला ने सुझाव दिया।

मुल्ला का सुझाव सबको पसन्द आया और अपनी-अपनी खोपड़ियों को कुँए से अड़ाकर सब जोर लगाने लगे। प्यास के कारण नशा और तेज हो गया तो वे मूर्च्छित होकर वहीं गिर पड़े। दो-तीन घण्टे बाद जब उनका नशा टूटा तो मुल्ला ने देखा, कुँए पर छाया है। वह बोला-'बस दोस्तों, कुँआ छाया में पहुँच गया है, अब अधिक धक्का लगाने से फिर से धूप में चले जाने का खतरा पैदा हो जायेगा। अब तो पानी पी लिया जाये।'

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