ई-पुस्तकें >> मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुले मुल्ला नसीरुद्दीन के चुटकुलेविवेक सिंह
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मुल्ला नसीरूद्दीन न केवल हँसोड़ था, बल्कि वह अच्छा हकीम भी था और सामान्य लोगों के सुख-दुःख में सदा भागीदार भी बनता था, इसलिए वह अत्यन्त लोकप्रिय था।
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'हकीम साहब, आपकी दवा से मुझे बहुत फायदा हुआ है, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।' मुल्ला से उसके मरीज ने कहा। 'अब तो तुम्हें भूख भी खूब खुलकर लगने लगी होगी?' अपनी प्रशंसा से प्रसन्न होकर मुल्ला ने पूछा।
'जी-हाँ, जी-हाँ, आपसे मैं यही तो पूछने आया हूँ क्या चीज खा सकता हूँ।' मरीज ने कहा।
'विशेष खट्टी और चटपटी चीजों से परहेज रखते हुए कुछ भी खाइये।'
'मिठाई खा सकता हूँ?'
'हाँ-हाँ।'
'फल?'
'बेशक!'
'मूँग की खिचड़ी?'
'खूब।
'हरी सब्जियाँ भी खा सकता हूँ? ’
'मेरा सिर छोड़ दो, बाकी कुछ भी खाओ।’ परेशान मुल्ला ने अन्तिम उत्तर दिया।
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