नई पुस्तकें >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकांत
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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सास और माँ
बहू स्कूल से लौटकर चेंज भी नहीं कर पायी थी कि भुवन ने आदेश दिया-’बहुत समय से सिर में भारीपन हो रहा है, तनिक मेरे लिए एक प्याला चाय तो बना देना।’
माँ ने तुरंत भुवन को टोक दिया-
‘अभी-अभी तो थक-हारकर स्कूल से लौटी है... मैं तेरे लिए चाय बनाकर लाती हूं...।’ वह तुंरत उठ गयी।
‘नहीं माँ तुम क्यों कष्ट करती हो...।’
‘तो किचन में जाकर स्वयं अपने लिए चाय बना ले’
‘माँ तुम भी... मुझे चाय बनानी कहां आती है...।’
‘बनानी सीख ले बेटा तेरे पापा के जमाने लद गए। औरतों से पैसा कमवाना है तो घर के काम में भी हाथ बटवाना पड़ेगा....।’
बातों-बातों में माँ चाय बनाकर टेबल पर ले आयी। तब तक बहू भी कपड़े बदलकर वहां आ गयी।
‘आजा बहू तू भी पहले चाय पी ले, बाद में कुछ काम को हाथ लगाना।’ माँ ने स्नेह पूर्वक उसे अपने पास बैठा लिया। गरम-गरम चाय की चुस्की लेते हुए बहू को सास के चेहरे में अपनी माँ नजर आने लगी।
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