नई पुस्तकें >> मूछोंवाली मूछोंवालीमधुकांत
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‘मूंछोंवाली’ में वर्तमान से तीन दशक पूर्व तथा दो दशक बाद के 50 वर्ष के कालखण्ड में महिलाओं में होने वाले परिवर्तन को प्रतिबिंबित करती हैं ये लघुकथाएं।
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समझ
उसकी बड़ी लड़की कोने में बैठी प्रार्थनापत्र याद कर रही थी- निवेदन है कि हम आपके स्कूल में तीन भाई-बहन पढ़ते हैं। मेरे पिताजी की आय सत्ताईस सौ रुपये मासिक है लेकिन घर का खर्चा बड़ी मुश्किल से चलता है, इसलिए कृपा करके मेरी फीस माफ कर दी जाए।
पास बैठे पिता को ये शब्द चेतावनीपूर्ण लगे। अभी तो उसकी दोही लड़कियां हैं, क्या तीन बच्चे होने पर...? उसने अपना निर्णय बदल लिया। वह नहीं चाहता था कि इस प्रकार का प्रार्थनापत्र झेलने की यातना उसके बच्चों को सहनी पड़े।
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