पत्र एवं पत्रकारिता >> मीडिया हूं मैं मीडिया हूं मैंजयप्रकाश त्रिपाठी
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कुछ तो होगा, कुछ तो होगा, अगर मैं बोलूंगा, न टूटे, न टूटे तिलिस्म सत्ता का, मेरे अंदर का एक कायर टूटेगा।
यह पुस्तक नहीं, अभियान है। पत्रकारिता के एक-एक छात्र, नयी पीढ़ी के एक-एक पत्रकार तक पहुंचना इस पुस्तक का पहला और अंतिम लक्ष्य है, ताकि पत्रकारिता की आत्मा को रौंद रहे बाजार का कुरूप चेहरा हमेशा के लिए हमारे बीच से ओझल हो जाये। यह पुस्तक उनके लिए, उन साथियों के नाम, जो पत्रकारिता के मूल्यों पर निछावर हो गये, जिन साथियों के परिजन अनायास अपने पत्रकार संरक्षकों के न होने की कीमत चुकाने के लिए विवश हैं, और जो साथी आज पत्रकारिता के मूल्यों को बचाने की जद्दोजहद में शामिल हैं....
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