लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> कुमुदिनी (हरयाणवी लोक कथाएँ)

कुमुदिनी (हरयाणवी लोक कथाएँ)

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9832
आईएसबीएन :9781613016046

Like this Hindi book 0

ये बाल-कथाएँ जीव-जन्तुओं और बालकों के भविष्य को नजर में रखते हुए लिखी गई है

रात को ठीक बारह बजे के करीब उस लड़की विषयाबाई के मुंह से काला सर्प निकलने लगा और हजारी प्रसाद की तरफ बढ़ने लगा। हजारी प्रसाद के पास एक डंडा पड़ा था। हजारी प्रसाद ने डंडा उठाया और उस सांप को दे मारा। वह सांप के फन पर लगा। जिसके लगते ही सांप मर गया। सांप की लम्बाई बीस से पच्चीस फीट के करीब होगी, रंग स्याह, वजन करीब बीस-पच्चीस किलोग्राम था। सारी रात हजारी प्रसाद सोया नहीं। उसे भय था कि कहीं फिर से कोई और सांप न आ जाए। सुबह हुई, तब विषयाबाई की आंखें खुली। उसने हजारी प्रसाद को देखा और पूछा- आप कौन हैं ? यहां किसलिए आएं हैं ?

हजारी प्रसाद ने कहा- जी मेरा नाम हजारी प्रसाद है। आपके अन्दर यह शैतान काला नाग था जो कि इंसानों की बलि मांगता था। उसी बलि के लिए मैं भी यहां आया था, मगर मैंने आज उसे खत्म कर दिया है। आज के बाद यहां किसी की भी बलि नहीं चढ़ेगी। अब आप ठीक हैं राजकुमारी जी। चलिए राज महल चलते हैं।

जब दोनों कोठरी से बाहर निकले तो सभी चकित थे आज यहां से यह युवक जिंदा कैसे निकला और इसके साथ राजकुमारी जी भी जिंदा व स्वस्थ बाहर निकल आई।

जब दोनों राजा प्रताप सिंह के सामने गये तो राजा को बड़ी प्रसन्नता हुई और राजा को विस्मय भी हुआ। राजा के पूछने पर हजारी प्रसाद ने सारी कहानी बतला दी। राजा बड़ा ही खुश हुआ। राजा ने कहा- तुमने अपना काम पूरा किया। अब मैं अपना काम पूरा करूंगा। तुम्हारे साथ अपनी बेटी मृगनयनी का विवाह करके। कोई अच्छा सा मुहर्त देखकर मैं अपनी बेटी का विवाह तुम्हारे साथ अवश्य कर दूंगा।

राजा से विदा लेकर हजारी प्रसाद बुढिया के घर गया। गौतम से मिला और गौतम उसे अपनी मां के पास लेकर गया। बुढिया ने हजारी प्रसाद को छाती से लगा लिया और रोने लगी। हजारी प्रसाद ने उसे चुप करते हुए कहा- देख मां मैं जिंदा वापिस लौट अया। आप फिर भी रो रही हो। अब तो आप चुप हो जाओ। देखिए मैं जिंदा हूं। अब गौतम को भी कोई खतरा नहीं है। वह भी जिंदा ही रहेगा तेरे पास।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai