ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ चमत्कारिक वनस्पतियाँउमेश पाण्डे
|
0 |
प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है
कचूर (कर्चूर)
विभिन्न भाषाओं में नाम-
संस्कृत - कचूर, द्राविड़ शटी।
हिन्दी - कचूर।
मुम्बई - कचूर।
मराठी - कचोर।
गुजराती - काचूर कचूरी।
बंगाली - शटी, कोश शोडो। जराबाद, उरूकल काफूर
(कपूर के समान गध वाला कन्द), इर्कुल काफूर।
फारसी - जुर्रबाद, जरबाद।
अरबी - जेडोएरी Zedoary
लैटिन - कूर्कूमा जेडोआरिआ (Curcuma zedoaria)
वनस्पतिक कुल - आर्द्रक-कुल Zingiberaceae.
कचूर का पौधा ऊपर से देखने में बिल्कुल हल्दी जैसा होता है। परन्तु हल्दी की जड़ में और इसकी जड़ अथवा गाँठ में अन्तर होता है। इसके पौधे ऊँचे होते हैं। इनकी पत्तियाँ संख्या में 4-4, एवं आकार में 30 सेमी., से 60 सेमी. तक लम्बी आयताकार तथा नुकीली होती है। जिसके ऊपर नीले वर्ण की शिराएँ होती है। इनके पुष्प पीले रंग के होते हैं जो कि अवृन्त एवं काण्ड से निकलते हैं। इनका पुष्प दण्ड पत्तियों के पहले निकलता है। इनका फल अंडाकार होता है। जिसके अन्दर छोटे बीज होते हैं।
ये भारतवर्ष में पाए जाते हैं। ये हिमालय की तराई में अधिक संख्या में मिलते हैं। इसके अतिरिक्त ये समस्त भारतवर्ष के जंगलों की निचली पहाड़ियों पर इनकेपौधे पाए जाते हैं। आयुर्वेदानुसार यहएककडवी, तीक्ष्ण, उष्ण अग्रिदीपक, सुगंधित, रुचिकर, रक्त एवं पित्त दोषनाशक, कंठमाला, अर्श कृष्ट, व्रण, दंभ, गुल्म, कप, कृमि एवं वात पीड़ा पर परम उपकारी वनस्पति है।
|