ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ चमत्कारिक वनस्पतियाँउमेश पाण्डे
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प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है
औषधिक उपयोग
(1) अधिक पसीना आने पर इसकी जड़ों का चूर्ण 1 से 3 बार तक दिया जाता है।
(2) प्रमेह रोग में इसकी छाल का चूर्ण शहद या चाशनी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
(3) गर्भाशय की सूजन दूर करने के लिए इसके पत्तों की चटनी ऊँटनी के दूध में मिलाकर पका लें व पेडू पर बांधने से परम उपकार होता है।
तांत्रिक महत्व
(1) ऊँटकयरा की ऐसी जड़ जिसमें 7 शाखाएँ हों, शुभमुहूर्त में निकालकर अपने पास रखने से अनेक संकट दूर होते हैं। यही नहीं इसकी जड़ों को पास रखने से स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
(2) गुरू-पुष्प योग में उत्तर दिशा की निकाली गई इसकी जड़ भुजा में बाँधने से सफलता मिलती है।
(3) शुभ मुहुर्त में निकाले गए सम्पूर्ण पौधे से झाड़ने पर कमर एवं पीठ दर्द में आराम मिलता है।
(4) निम्न यंत्र को ऊँटकटारा के फल के साथ किसी ऊँचे स्थान पर लटकाने से शत्रु दबता है। यंत्र सफेद कागज पर काली स्याही से लिखा जाता है-
इस पौधे को घर की सीमा में उगाया जाना शुभ नहीं है। यदि किसी कारणवश हो तो यह अशुभ है। वैसे यह घरों में पनपता भी नहीं है।
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