ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ चमत्कारिक वनस्पतियाँउमेश पाण्डे
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प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है
बनहल्दी
विभिन्न भाषाओं में नाम -
संस्कृत - बनहरिद्रा।
हिन्दी - जंगली हल्दी।
फारसी - दारबोबा।
अंरबी - Yellow zedory वाईल्ड टर्मे-रिक (Wild Turmeric)
लैटिन - कुर्कमा आरोमाटिका Curcuma aromatica Salisb.
वनस्पतिक कुल - हरिद्रा कुल Zingiberaceae
बनहल्दी एक द्विवर्षीय क्षुप होता है। इसमें जमीन के ऊपर काण्ड या तना नहीं होता है। बल्कि अदरक के समान जमीन में अव्यवस्थित गांठ से ऊपर की ओर हल्दी की भांति पत्तियां निकलती हैं। ये पत्तियाँ अपेक्षाकृत बड़ी तथा 12 से 14 इंच लम्बाई तक होती हैं। गांठ भूरे पीले रंग (वर्ण) की होती है, जिन पर जगह-जगह वलयाकार शल्क पत्रों की रचनाएँ होती हैं। इसे तोड़ने पर टूटा हुआ भाग गाढ़े नारंगी वर्ण का दिखाई देता है। इसके कन्दों में कपूर के समान खुशबू आती है। जंगली प्रदेशों, विशेषकर पूर्वी हिमालय, बंगाल आदि में यह स्वयं जात होती है तथा भारत में इसकी खेती भी की जाती है।
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