ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक वनस्पतियाँ चमत्कारिक वनस्पतियाँउमेश पाण्डे
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प्रकृति में पाये जाने वाले सैकड़ों वृक्षों में से कुछ वृक्षों को, उनकी दिव्यताओं को, इस पुस्तक में समेटने का प्रयास है
औषधिक महत्त्व
(1) पेट दर्द होने पर - अजवायन को प्रीसकर गरम पानी के साथ एक चम्मच पीने से पेट दर्द में राहत होती है।
(2) अजीर्ण होने पर - अजीर्ण होने पर अजवायन और काला नमक फांकने से लाभ होता है।
(3) शीत पित्त होने पर - शीत पित होने पर अजवायन तथा गुड़ को साथ-साथ खाने से शीत पित में राहत मिलती है।
(4) मस्तक पीड़ा होने पर - मस्तक शूल होने पर अजवायन चूर्ण बनाकर छानकर उसे सूँघने से लाभ होता है, अथवा पत्तों के साथ लपेटकर बीड़ी बनाकर पीने से मस्तक पीड़ा दूर होती है।
(5) गर्मी होने पर - अजवायन को शक्कर के साथ लेने के बाद ऊपर से पानी पीने पर शीतलता आती है।
(6) बहुमूत्र रोग होने पर - बहुमूत्र के ऊपर अजवायन का तेल/अर्क पीने से बहुमूत्र रोग में लाभ होता है।
(7) कफ या गुल्म के ऊपर - अजवायन के चूर्ण एवं काले नमक को छाछ में पीने से कफ विकार में राहत मिलती है।
(8) संधिवात में - सधियात के दर्द में अजवायन का तेल संबंधित स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
(9) गले के सूजन होने पर - थोड़ी सी अजवाइन का सेवन एवं अजवाइन को पीसकर उसकी पुल्टिश बाँधने से लाभ होता है।
(10) जोड़ों में दर्द में - अजवायन, हल्दी सोंठ, अश्वगंधा तथा मैथीदाने के चूर्ण की बराबर-बराबर मात्रा मिलाकर उसकी 1 चम्मच मात्रा नित्य गर्म जल से सोने के पूर्व लेनी चाहिये।
(11) अनेक रोगों पर - 250 ग्रमा मैथीदाना, 100 ग्राम अजवायन तथा 50 ग्राम काली जीरी लेकर इन्हें हल्का सा सेंक ले। तत्पश्चात् उनका चूर्ण बनाकर भली प्रकार मिलाकर रख लें। इस चूर्ण की एक चम्मच मात्रा रात्रि में सोने समय गुनगुने जल से लेने वाले को रक्तचाप, जोड़ों में दर्द, कोलेस्ट्रॉल की समस्या, मधुमेह आदि तमाम रोगों में कल्पनातीत लाभ होता है।
वास्तु में महत्त्व
यह घर के वास्तु पर ऋणात्मक प्रभाव नहीं डालता है।
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