आलोचना >> अपराजेय निराला अपराजेय निरालाआशीष पाण्डेय
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निराला साहित्य के नव क्षितिज
निराला, हिन्दी साहित्य की गंगा का एक ऐसा द्वीप हैं, जो अपनी उर्वरता के लिए जाना जाता है। सूर, कबीर, तुलसी, भारतेन्दु के बाद इक्कीसवीं शताब्दी के काव्य का ध्वजवाहक। जिसने चार दशक तक हिन्दी कविता का नेतृत्व किया। छायावाद का वह प्रकाश जिसने साहित्य के प्रतिमानों का सबसे ज्यादा विरोध किया, साहित्यकारों का सबसे ज्यादा विरोध सहा। पारंपरिक रूढ़ियों, प्रथाओं में कसी कविता के बंधनों को तोड़ा। मुक्ति के स्वर को साहित्य में ही नहीं बल्कि समाज के स्तर पर उतारा। जीवन में अथाह पीड़ा, वेदना का गरल महादेव की भांति कंठ में धारण कर नव मानवतावाद को प्रतिष्ठित किया। अपनी तमाम सीमाओं के बावजूद निराला का व्यक्तित्व असीम है। अहंभाव की अधिकता के बावजूद निराला करुणा और मानवता के प्रतिनिधि हैं। विरोधी व्यक्तित्व के बावजूद निराला सत्य के सबसे बड़े समर्थक हैं। निराला का लेखन बहुआयामी था। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल भी अपने "हिन्दी साहित्य का इतिहास" में निराला के आलोचक होने के बावजूद यह स्वीकार करते हैं कि उनकी प्रतिभा बहुवस्तुस्पर्शिनी है। यही कारण है कि निराला के काव्य में न केवल छायावाद अपने पूर्ण यौवन के साथ विद्यमान है, बल्कि वहाँ पर प्रगतिवाद और प्रयोगवाद के भी सारे तत्व मिलते हैं। यह दूसरी बात है कि किसी कवि की कुछ रचनाओं के आधार पर किसी स्थापित आंदोलन के सूत्र नहीं मिलाने चाहिए, परंतु इससे परहेज नहीं करना चाहिए कि हिन्दी साहित्य में उन आंदोलनों के अपने निजी सूत्र भी विद्यमान थे, जिन्हें बाद में विदेशी रसायन के मेल से भारतीय बनाने का प्रयास किया गया, जैसे कि प्रयोगवाद और प्रगतिवाद।
For B.Sc.-I students according to UGC Syllabus
- CHAPTER-1 STRUCTURE AND BONDING
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- CHAPTER-2 MECHANISMOFORGANICREACTIONS
- Curved arrow notationDrawing electron movements with arrows
- Double headed arrowsCleavage of covalent bond (Homolysis and Heterolysis)
- Organic reagents (Electrophiles and Nucleophiles)
- Reaction intermediates Corbocations
- Free radicals
- Carbanions
- Carbenes
- Nitrenes
- Arynes
- Assigning formal charges on intermediates and other ionic species
- Methods of determination of reaction mechanism
- Organic reactions
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