जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग सत्य के प्रयोगमहात्मा गाँधी
|
0 |
महात्मा गाँधी की आत्मकथा
इन रिपोर्ट के सांगोपांग तैयार होने और अन्त में कानून के पास होने में सर एडवर्ड गेट का बहुत बड़ा हाथ था। यदि वे ढृढ न रहे होते अथवा उन्होंने अपनी कुशलता का पूरा उपयोग न किया होता, तो जो सर्वसम्मत रिपोर्ट तैयार हो सकी वह न हो पाती और आखिर में जो कानून पास हुआ वह भी न हो पाता। निलहों की सत्ता बहुत प्रबल थी। रिपोर्ट पेश हो जाने पर भी उनमें से कुछ ने बिल का कड़ा विरोध किया था। पर सर एडवर्ड गेट अन्त कर ढृढ रहे और उन्होंने समिति की सिफारिशो पर पूरा पूरा अमल किया। इस प्रकार सौ साल से चले आनेवाले 'तीन कठिया' के कानून के रद्द होते ही निलहे गोरो का राज्य का अस्त हुआ, जनता का जो समुदाय बराबर दबा ही रहता था उसे अपनी शक्ति का कुछ भान हुआ और लोगों का यह वहम दूर हुआ कि नील का दाग धोये धुल ही नहीं सकता।
मैं तो चाहता था कि चम्पारन में शुरू किये गये रचनात्मक काम को जारी रखकर लोगों में कुछ वर्षो तक काम करूँ, अधिक पाठशालाएँ खोलूँ औऱ अधिक गाँवो में प्रवेश करूँ। पर ईश्वर ने मेरे मनोरश प्रायः पूरे होने ही नहीं दिये। मैन सोचा कुछ था औऱ दैव मुझे घसीट कर ले गया दूसरे ही काम में।
|