लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824
आईएसबीएन :9781613015780

Like this Hindi book 0

महात्मा गाँधी की आत्मकथा


मुझे उस अनावश्यक परिश्रम की याद आयी, जो कलकत्ते और रंगून में यजमानो को मेरे लिए उठाना पड़ा था। इसलिए मैंने आहार की वस्तुओ की मर्यादा बाँधने और अंधेरे से पहले भोजन करने का व्रत लेने का निश्चिय किया। मैंने देखा कि यदि मैं यजमानो के लिए मैं भारी असुविधा का कारण बन जाऊँगा और सेवा करने के बदले हर जगह लोगों को मेरी सेवा में ही उलझाये रहूँगा। अतएव चौबीस घंटो में पाँच चीजो से अधिक कुछ न खाने और रात्रि भोजन के त्याग का व्रत तो मैंने ले ही लिया। दोनों की कठिनाई का पूरा विचार कर लिया। मैंने इन व्रतो में से एक भी गली न रखने की निश्चय किया। बीमारी में दवा के रुप में बहुत सी चीजे लेना या न लेना, दवा की गितनी खाने की वस्तुओ में करना या न करना, इन सब बातो को सोच लिया और निश्चय किया कि खाने के कोई भी पदार्थ मैं पाँच से अधिक न लूँगा। इन दो व्रतों को लिये अब तेरह वर्ष हो चुके है। इन्होने मेरी काफी परीक्षा की है। किन्तु जिस प्रकार परीक्षा की हैं, उसी प्रकार ये व्रत मेंर लिए काफी ढालरूप भी सिद्ध हुए हैं। मेरा यह मत है कि इन व्रतों के कारण मेरा जीवन बढ़ा है और मैं मानता हूँ कि इनकी वजह से मैं अनेक बार बीमारियो से बच गया हूँ।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book