लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग

सत्य के प्रयोग

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :716
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9824
आईएसबीएन :9781613015780

Like this Hindi book 0

महात्मा गाँधी की आत्मकथा

विलायत की तैयारी


सन् 1886 में मैंने मैंट्रिक की परीक्षा पास की। देश की और गाँधी-कुटुम्ब की गरीबी ऐसी थी कि अहमदाबाद और बम्बई -- जैसे परीक्षा के दो केन्द्र हो, तो वैसी स्थितिवाले काठियावाड़-निवासी नजदीक के और सस्ते अहमदाबाद को पसन्द करते थे। वही मैंने किया। मैंने पहले-पहले राजकोट से अहमदाबाद की यात्रा अकेले की।

बड़ो की इच्छा थी कि पास हो जाने पर मुझे आगे कॉलेज की पढ़ाई करनी चाहिये। कॉलेज बम्बई में भी था और भावनगर का खर्च कम था। इसलिए भावनगर के शामलदास कॉलेज में भरती होने का निश्चय किया। कॉलेज में मुझे कुछ आता न था। सब कुछ मुश्किल मालूम होता था। अध्यापकों का नहीं, मेरी कमजोरी का ही था। उस समय के शामलदास कॉलेज के अध्यापक तो प्रथम पंक्ति के माने जाते थे। पहला सत्र पूरा करके मैं घर आया।

कुटुम्ब के पुराने मित्र और सलाहकार एक विद्वान, व्यवहार -कुशल ब्राह्मण मावजी दवे थे। पिताजी के स्वर्गवास के बाद भी उन्होंने कुटुम्ब के साथ सम्बन्ध बनाये रखा था। वे छुट्टी के इन दिनों में घर आये। माताजी और बड़े भाई के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने मेरी पढ़ाई के बारे में पूछताछ की। जब सुना कि मैं शामलदास कॉलेज में हूँ, तो बोले, 'जमान बदल गया हैं। तुम भाईयों में से कोई कबा गाँधी की गद्दी संभालना चाहे तो बिना पढ़ाई के वह नहीं होगा। यह लड़का अभी पढ़ रहा हैं, इसलिए गद्दी संभालने का बोझ इससे उठवाना चाहिये। इसे चार-पाँच साल तो अभी बी. ए. होने में लग जायेगे, और इतना समय देने पर भी इसे 50-0 रुपये की मौकरी मिलेगी, दीवानगीरी नहीं। और अगर उसके बाद इसे मेरे लड़के की तरह वकील बनाये, तो थोड़े वर्ष और लग जायेगे और तब तक तो दीवानगीरी के लिए वकील भी बहुत से तैयार हो चुकेंगे। आपको इसे विलायत भेजना चाहिये। केवलराम (भावजी दवे का लड़का) कहता हैं कि वहाँ की पढ़ाई सरल हैं। तीन साल में पढ़कर लौट आयेगा। खर्च भी चार-पाँच हजार से अधिक नहीं होगा। नये आये हुए बारिस्टरों को देखों, वे कैसे ठाठ से रहते हैं! वे चाहे तो उन्हें दीवानगीरी आज मिल सकती हैं। मेरी तो सलाह है कि आप मोहनदास को इसी साल विलायत भेज दीजिये। विलायत में मेरे केवलराम के कई दोस्त हैं, वह उनके नाम सिफारसी पत्र दे देगा, तो इसे वहाँ कोई कठिनाई नहीं होगी।'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book