जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग सत्य के प्रयोगमहात्मा गाँधी
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महात्मा गाँधी की आत्मकथा
कहा जा सकता है कि इस लड़ाई के इतिहास दक्षिण अफ्रीका के मेरे जीवन का और विशेषकर मेरे सत्य के प्रयोगों का इतिहास है। इस इतिहास का अधिकांश मैंने यरवड़ा जेल में लिख डाला था और बाकी बाहर आने के बाद पूरा किया। वह सब 'नवजीवन' में छप चुका है और बाद में 'दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास' ( 'दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास' का हिन्दी अनुवाद नवजीवन प्रकाशन मन्दिर, अहमदाबाद द्वारा प्रकाशित हो चुका है। ) के नाम से पुस्तक रूप में भी प्रकाशित हो चुका है। उसका अंग्रेजी अनुवाद श्री वालजी गोविन्द जी देसाई 'करंट थॉट' के लिए कर रहे है। पर अब मैं उसे शीध्र ही अंग्रेजी में पुस्तकाकार में प्रकाशित करने की व्यवस्था कर रहा हूँ, जिससे दक्षिण अफ्रीका के मेरे बड़े से बड़े प्रयोगों को जानने के इच्छुक सब लोग उन्हें जान समझ सके। जिन गुजराती पाठको ने 'दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास' न पढा हो, उन्हे मेरी सलाह है कि वे उसे पढ ले। मैं चाहता हू कि अब से आगे के कुछ प्रकरणों में उक्त इतिहास में दिये गये मुख्य कथा भाग को छोड़कर दक्षिण अफ्रीका के मेरे जीवन के जो थोड़े व्यक्तिगत प्रसंग उसमें देने रह गये है उन्हीं की चर्चा करूँ। और इनके समाप्त होने पर मैं तुरन्त ही पाठको को हिन्दुस्तान के प्रयोगों का परिचय देना चाहता हूँ। अतएव जो पाठक इन प्रयोगों के प्रसंगो के क्रम को अविच्छिन्न रखना चाहते है, उनके लिए 'दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास' के उक्त प्रकरण अब अपने सामने रखना जरूरी है।
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