लोगों की राय

नई पुस्तकें >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9810
आईएसबीएन :9781613016114

Like this Hindi book 0

जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ


“क्या?”

“यह छोकरी इस गाँव से जाना नहीं चाहती। उधर पुलिस तंग कर रही है।”

“जाना नहीं चाहती, क्यों?”

“वह तो घूम-घाम कर गढ़ में आ जाती है। खाने को मिल जाता है।...”

मैकू आगे की बात चुप होकर कुछ-कुछ संकेत-भरी मुस्कराहट से कह देना चाहता था।

ठाकुर के मन में हलचल होने लगी। उसे दबाकर प्रतिष्ठा का ध्यान करके ठाकुर ने कहा-

“तो मैं क्या करूँ?”

“सरकार! वह तो साँझ होते ही पलाश के जंगल में अकेली चली जाती है। वहीं बैठी हुई बड़ी रात तक गाया करती है।”

“हूँ!”

“एक दिन सरकार धमका दें, तो हम लोग उसे ले-देकर आगे कहीं चले जायँ।”

“अच्छा।”

मैकू जाल फैलाकर चला आया। एक हज़ार की बोहनी की कल्पना करते वह अपनी सिरकी में बैठकर हुक़्क़ा गुड़गुड़ाने लगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book