लोगों की राय

नई पुस्तकें >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9810
आईएसबीएन :9781613016114

Like this Hindi book 0

जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ


एक शिला-खण्ड पर बैठे हुए गुल ने कहा- प्यास लगी है।

बहार पास के विश्राम-गृह में गई, पान-पात्र भर लाई। गुल पीकर मस्त हो रहा था। बोला- ”बहार, तुम बड़े वेग से मुझे खींच रही हो; सम्भाल सकोगी? देखो, मैं गिरा?”

गुल बहार की गोद में सिर रखकर आँखें बन्द किये पड़ा रहा। उसने बहार के यौवन की सुगन्ध से घबराकर आँखें खोल दीं। उसके गले में हाथ डालकर बोला- ”ले चलो, मुझे कहाँ ले चलती हो?”

बहार उस स्वर्ग की अप्सरा थी। विलासिनी बहार एक तीव्र मदिरा प्याली थी, मकरन्द-भरी वायु का झकोर आकर उसमें लहर उठा देता है। वह रूप का उर्मिल सरोवर गुल उन्मत्त था। बहार ने हँसकर पूछा- ”यह स्वर्ग छोड़कर कहाँ चलोगे?”

“कहीं दूसरी जगह, जहाँ हम हों और तुम।”

“क्यों, यहाँ कोई बाधा है?”

सरल गुल ने कहा- ”बाधा! यदि कोई हो? कौन जाने!”

“कौन? मीना?”

“जिसे समझ लो।”

“तो तुम सबकी उपेक्षा करके मुझे-केवल मुझे ही-नहीं....”

“ऐसा न कहो”- बहार के मुँह पर हाथ रखते हुए गुल ने कहा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book