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जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9810
आईएसबीएन :9781613016114

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जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ


स्कन्द ने क्रोधित होकर कहा- सो कैसे? मैंने तो पथ में इन्हें कहीं नहीं देखा!

ब्रह्मा ने कहा- क्या मार्ग में मूषक का पद-चिह्न आपको कहीं नहीं दिखाई पड़ा था?

स्कन्द ने कहा- हाँ, पद-चिह्न तो देखा था।

ब्रह्मा ने कहा- उन्होंने विश्वरूप जगज्जनक, जननी ही की परिक्रमा कर ली है। सो भी तुम्हारे पहले ही।

स्कन्द लज्जित होकर चुप हो रहे।

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