लोगों की राय

नई पुस्तकें >> जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद की कहानियां

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :435
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9810
आईएसबीएन :9781613016114

Like this Hindi book 0

जयशंकर प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ


थक गयी थी। कहिए, क्या लाऊँ?

थोड़ी शीराजी-कहते हुए वह पलँग पर जाकर बैठ गया और इरावती का स्फटिक-पात्र में शीराजी उँड़ेलना देखने लगा। इरा ने जब पात्र भरकर अहमद को दिया, तो अहमद ने सतृष्ण नेत्रों से उसकी ओर देख कर पूछा- फिरोज़ा कहाँ है?

सिर में दर्द है, भीतर सो रही है।

अहमद की आँखों में पशुता नाच उठी। शरीर में एक सनसनी का अनुभव करते हुए उसने इरावती का हाथ पकड़ कहा- बैठो न, इरा! तुम थक गई हो।

आप शर्बत लीजिये। मैं जाकर फिरोज़ा को जगा दूँ।

फिरोज़ा! फिरोज़ा के हाथ मैं बिक गया हूँ क्या, इरावती! तुम-आह!

इरावती हाथ छुड़ाकर हटनेवाली ही थी कि सामने फिरोज़ा खड़ी थी! उसकी आँखों में तीव्र ज्वाला थी। उसने कहा- मैं बिकी हूँ, अहमद! तुम भला मेरे हाथ क्यों बिकने लगे? लेकिन तुमको मालूम है कि तुमने अभी राजतिलक को मेरा दाम नहीं चुकाया; इसलिए मैं जाती हूँ।

अहमद हत-बुद्धि! निष्प्रभ! और फिरोज़ा चली। इरावती ने गिड़गिड़ा कर कहा- बहन, मुझे भी न लेती चलोगी....?

फिरोज़ा ने घूमकर एक बार स्थिर दृष्टि से इरावती की ओर देखा और कहा- तो फिर चलो।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book