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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन

मोहनदेव-धर्मपाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :187
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9809
आईएसबीएन :9781613015797

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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन-वि0सं0 700 से 2000 तक (सन् 643 से 1943 तक)

उपन्यास-

(१) प्रतिज्ञा या प्रेमा (१९०४)-यह विधवा समस्या को लेकर लिखा गया है।

(२) वरदान (१९०६)-इसमें सामयिक राजनैतिक आन्दोलन प्रतिबिम्बित है।

(३) सेवासदन (१९१४)-यह नारी-समस्या, विशेषत: वेश्या-सुधार और निम्न-मध्यवर्ग की दुर्बलता को लेकर लिखा गया है।

(४) प्रेमाश्रम (१९१८)-इसमें जमींदारों के द्वारा किसानों के शोषण का चित्र मुख्य रूप से अंकित हुआ है।

(५) निर्मला (१९२३)-इसमें दहेजप्रथा और बेमेल-विवाह के दुष्परिणाम दिखानेवाली एक करुण कथा है।

(६) रंगभूमि (१९२४)-यह औद्योगिक शोषण, राजनैतिक दासता तथा अन्तर्जातीय विवाह की समस्याओं को लेकर चलने वाला एक बड़ा उपन्यास है।

(७) कायाकल्प (१९२८)-यह मध्यवर्ग के मिथ्या अभिमान से विद्रोह कर आत्मा के रहस्यों में खो जानेवाली रचना है।

(८) ग़बन (१९३०)- इसमें निम्न-मध्यवर्ग की पारिवारिक समस्या की भयंकरता का सजीव चित्र है।

(९) कर्मभूमि (१९३२)- किसान-आन्दोलन और अछूतोद्धार को लेकर यह उपन्यास लिखा गया है।

(१०) गोदान (१९३६)- भारतीय किसान के जीवन-संघर्ष को लेकर लिखा गया यह एक महत्वपूर्ण गौरवग्रंथ है।

(११) मंगलसूत्र (अपूर्ण १९३६)- लेखक की साहित्य-साधना में आनेवाले कष्टों का इसमें हृदयस्पर्शी चित्र अकृति हुआ है।

निबन्ध- 'कुछ विचार' के नाम से उनके निबंधों का संग्रह प्रकाशित हो चुका है।

नाटक- संग्राम, कर्बला, और प्रेम की वेदी-यह तीन प्रेमचंद जी के नाटक हैं।

जीवनियाँ- महात्मा शेखसादी, दुर्गादास, कलम तलवार और त्याग।

अनुवाद- सृष्टि का आरम्भ (बर्नार्डशॉ), टाल्स्टाय की कहानियाँ, सुखदास (जार्ज इलियट का साइलस मेरिनर) अहंकार (अनातोले फ्रांस-छाया) चांदी की डिबिया, न्याय, हड़ताल, (गाल्सवर्दी के नाटकों के अनुवाद) और आजाद-कथा (रतननाथ सरशार)।

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UbaTaeCJ UbaTaeCJ

"हिंदी साहित्य का दिग्दर्शन" समय की आवश्यकताओं के आलोक में निर्मित पुस्तक है जोकि प्रवाहमयी भाषा का साथ पाकर बोधगम्य बन गयी है। संवत साथ ईस्वी सन का भी उल्लेख होता तो विद्यार्थियों को अधिक सहूलियत होती।