ई-पुस्तकें >> वेताल पचीसी वेताल पचीसीवेताल भट्ट
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सदियों से प्रसिद्ध वेताल और राजा विक्रमादित्य की मनोहारी कथा
रास्ते में एक चोर खड़ा था। वह देखने लगा कि स्त्री कहाँ जाती है। धीरे-धीरे वह सहेली के मकान पर पहुँची। चोर भी पीछे-पीछे गया। संयोग से उस आदमी को साँप ने काट लिया था और वह मरा पड़ा था। स्त्री ने समझा सो रहा है। वहीं आँगन में पीपल का एक पेड़ था, जिस पर एक पिशाच बैठा यह लीला देख रहा था। उसने उस आदमी के शरीर में प्रवेश करके उस स्त्री की नाक काट ली और फिर उस आदमी की देह से निकलकर पेड़ पर जा बैठा। स्त्री रोती हुई अपनी सहेली के पास गयी। सहेली ने कहा कि तुम अपने पति के पास जाओ और वहाँ बैठकर रोने लगो। कोई पूछे तो कह देना कि पति ने नाक काट ली है।
उसने ऐसा ही किया। उसका रोना सुनकर लोग इकट्ठे हो गये। आदमी जाग उठा। उसे सारा हाल मालूम हुआ तो वह बड़ा दु:खी हुआ। लड़की के बाप ने कोतवाल को ख़बर दे दी। कोतवाल उन सबको राजा के पास ले गया। लड़की की हालत देखकर राजा को बड़ा गुस्सा आया।
उसने कहा, “इस आदमी को सूली पर लटका दो।”
वह चोर वहाँ खड़ा था। जब उसने देखा कि एक बेकसूर आदमी को सूली पर लटकाया जा रहा है तो उसने राजा के सामने जाकर सब हाल सच-सच बता दिया।
वह बोला, “अगर मेरी बात का विश्वास न हो तो जाकर देख लीजिए, उस आदमी के मुँह में स्त्री की नाक है।”
राजा ने दिखवाया तो बात सच निकली।
इतना कहकर तोता बोला, “हे राजा! स्त्रियाँ ऐसी होती हैं! राजा ने उस स्त्री का सिर मुँडवाकर, गधे पर चढ़ाकर, नगर में घुमवाया और शहर से बाहर छुड़वा दिया।
यह कहानी सुनाकर वेताल बोला, “राजा, बताओ कि दोनों में ज़्यादा पापी कौन है?”
राजा ने कहा, “स्त्री।”
वेताल ने पूछा, “कैसे?”
राजा ने कहा, “मर्द कैसा ही दुष्ट हो, उसे धर्म का थोड़ा-बहुत विचार रहता ही है। स्त्री को नहीं रहता। इसलिए वह अधिक पापिन है।”
राजा के इतना कहते ही वेताल फिर पेड़ पर जा लटका। राजा लौटकर गया और उसे पकड़कर लाया। रास्ते में वेताल ने नई कहानी आरम्भ की।
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