लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> श्रीबजरंग बाण

श्रीबजरंग बाण

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :12
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9722
आईएसबीएन :9781613012246

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

401 पाठक हैं

शरतचन्द्र का आत्मकथात्मक उपन्यास


लाह समान लंक जरि गई।
जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

अब विलम्ब केहि कारन स्वामी।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।

जय जय लक्ष्मन प्रान के दाता।
आतुर होय दुख करहु निपाता।।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर।
सुर समूह समरथ भटनागर।।

ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहि मारु बज्र की कीले।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज निज दास उबारो।।

ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai