लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 9720
|
आईएसबीएन :9781613014448 |
 |
|
4 पाठकों को प्रिय
258 पाठक हैं
|
मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
93
आदमी को आदमी से डर भला क्योंकर लगा
आदमी को आदमी से डर भला क्योंकर लगा।
तब ये जाना जब हमारी पीठ पर ख़ंजर लगा।।
आस्तीनी साँप से मुमकिन था बच जाते मगर,
हर गली इक आस्तीं, हर आदमी विषधर लगा।
जिस्म बेचा, रूह बेची, ख़्वाब तक बेचे कभी,
भूख के बाज़ार में हर शख़्स पेशेवर लगा।
वाह रे इंसाफ़ उनका वाह रे उनका निज़ाम,
जुर्म किसका था मगर इल्ज़ाम किसके सर लगा।
मैं सफ़र में शाम को ठहरा जहाँ पर भी वहीं,
लोग अपने से लगे वो गाँव अपना घर लगा।
...Prev | Next...
पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai