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संभाल कर रखना
संभाल कर रखना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9720
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आईएसबीएन :9781613014448 |
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
82
अक्स लफ़्ज़ों के हैं, गुफ़्तार का आईना है
अक्स लफ़्ज़ों के हैं, गुफ़्तार का आईना है।
तेरा लहजा तेरे किरदार का आईना है।।
अपना रहबर है जो सरकार का आईना है,
रोज़ बिकता है वो बाज़ार का आईना है।
ख़्वाब सच होते हुए तुम को दिखाई देंगे,
दिल से देखो तो ज़रा प्यार का आईना है।
लाख सच्चाई दिखाये उन्हें दिखता ही नहीं,
अक्ल के अंधों में बेकार का आईना है।
आप चाहें तो सम्भालें या इसे बिखरा दें,
आपके हाथों में फ़नकार का आईना है।
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पुस्तक का नाम
संभाल कर रखना
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