ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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गर मेरी ग़ज़लें न भूखों को निवाला दे सकें
गर मेरी ग़ज़लें न भूखों को निवाला दे सकें।
भूख से लड़ने की हिम्मत दें उजाला दे सकें।।
इक दिया तूफ़ान से लड़ता रहा है इस लिये,
लोग कल को रौशनी का कुछ हवाला दे सकें।
कौरवों ने फिर रची साज़िश कि सत्ता के लिये,
पाँडवों को हस्तिनापुर से निकाला दे सकें।
बैठकर जिसमें पढ़ें सब एकता वाली किताब,
काश हम बच्चों को ऐसी पाठशाला दे सकें।
आज भी कविता उसी सम्मान की हक़दार है,
हम में ये सामर्थ्य हो ‘ग़ालिब’ ‘निराला’ दे सकें।
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