ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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दर्द के मारे रहेंगे, दर्द के मारों के साथ
दर्द के मारे रहेंगे, दर्द के मारों के साथ।
क्योंकि शबनम रह नहीं सकती है अंगारों के साथ।।
कोई सौदा हो गया साहिल का मँझधारों के साथ,
यानी मुंसिफ़ हो गया है क्या गुनहगारों के साथ।
एक बँटवारा हुआ था, जिससे ये हालत हुई,
देश कैसे जी सकेगा, इतने बँटवारों के साथ।
एक हम ही हैं जो बैठे हैं किसी की आस में,
कौन टिक कर बैठता है ढहती दीवारों के साथ।
अपनी-अपनी मंज़िलों तक आके रुक जाते हैं सब,
हमसफ़र बनकर, सफ़र चलता है बंजारों के साथ।
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