ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह
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सर पे ज़िम्मेदारियों का बोझ है, भारी भी है
सर पे ज़िम्मेदारियों का बोझ है, भारी भी है।
डगमगाते पाँवों से लेकिन सफ़र जारी भी है।।
क्या हुआ दौलत नहीं,रुतबा नहीं,शोहरत नहीं,
हाँ मैं मुफ़लिस हूँ मगर इज़्ज़त है ख़ुद्दारी भी है।
बात के मक़सद को लहजे से समझ लेता हूँ मैं,
यूँ बहुत नादान हूँ पर इतनी हुशियारी भी है।
सिर्फ चेहरा देखकर ‘राजेन्द्र’ दिल देना नहीं,
भोली-भाली सूरतों के दिल में मक्कारी भी है।
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