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ई-पुस्तकें >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720
आईएसबीएन :9781613014448

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



8

हमको उसकी याद की गहराइयाँ अच्छी लगीं


हमको उसकी याद की गहराइयाँ अच्छी लगीं,
इसलिये महफ़िल में भी तनहाइयाँ अच्छी ल्रगीं।

चिलचिलाती धूप, नंगे पाँव, जलती रेत पर,
तश्नगी को झील सी परछांइयाँ अच्छी लगीं।

ये मुहब्बत का असर ही था मुझे महबूब की,
ख़ूबियाँ तो ख़ूबियाँ थीं ख़ामियाँ अच्छी लगीं।

जब गिरीं हैं आशियाने पर तो गुज़रीं नागवार,
जब गिरीं दिल पर तो मुझको बिजलियाँ अच्छी लगीं।

मेरी मजबूरी का उसने भी उठाया फा़यदा,
वर्ना क्यों उसको मेरी मजबूरियाँ अच्छी लगीं।

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