लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> पिया की गली

पिया की गली

कृष्ण गोपाल आबिद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9711
आईएसबीएन :9781613012550

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

12 पाठक हैं

भारतीय समाज के परिवार के विभिन्न संस्कारों एवं जीवन में होने वाली घटनाओं का मार्मिक चित्रण


ब्याह की सारी रस्में समाप्त हो गयीं औऱ उसे अन्दर ले जा कर अपने कमरे में अकेला छोड़ दिया गया।

औऱ अकेले में भविष्य की अनुभूतियाँ उसे डराने लगीं।

अब वह पराई हो चुकी थी।

इस घर की न रही थी।

यह घर पहले भी उसका कब था? वह कहाँ की थी? कहाँ पर उसके क्या अधिकार थे उसे तो कुछ भी ज्ञात नहीं है।

फिर अब यह सब कुछ छोड़ने पर इतना दुख क्यों? इस छोटे से जीवन में इतने सदमे सहे हैं, फिर इस नये सदमें का इतना तीव्र अहसास क्यों?

दीदी की गोद जो छिन जायेगी? परन्तु दीदी की गोद पर उसका अधिकार भी क्या था? कितने ही वर्षो से क्या उसे बार-बार इसका अहसास नहीं हुआ कि वह जबरदस्ती इस प्यार से अपना हिस्सा माँग रही है?

दीदी के अपने बच्चे हैं, अपना घर है, परिवार है। इतना बडा़ परिवार है। इतने सारे लोग हैं। फिर वह दूसरों के हिस्से का प्यार उस पर ही क्यों लुटाती रही।

नही-नही। दीदी के लिए उसे ऐसा न सोचना चाहिये।

"दीदी मैं तुम्हारे अहसान कभी नहीं उतार सकती।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book