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पथ के दावेदार

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :537
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9710
आईएसबीएन :9781613014288

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हम सब राही हैं। मनुष्यत्व के मार्ग से मनुष्य के चलने के सभी प्रकार के दावे स्वीकार करके, हम सभी बाधाओं को ठेलकर चलेंगे। हमारे बाद जो लोग आएंगे, वह बाधाओं से बचकर चल सकें, यही हमारी प्रतिज्ञा है।


थाने के सामने वाले बड़े कमरे में छ: बंगाली बैठे थे। जगदीश बाबू ने इसी बीच उनके टीन के बक्स और गठरियां आदि खोलकर जांच आरम्भ कर दी थी। जिस व्यक्ति पर उन्हें विशेष रूप से संदेह था उसे एक अलग कमरे में बंद कर रखा था। यह लोग नौकरी की खोज में रंगून आए थे। इनके काम-धाम और विवरण आदि लिखकर और उनके सामान की जांच हो चुकने के बाद पॉलिटिकल सस्पेक्ट सव्यसाची को निमाई बाबू के सामने उपस्थित किया गया। वह खांसते-खांसते सामने आया। उम्र तीस-बत्तीस से अधिक न रही होगी, लेकिन जैसा दुबला-पतला था वैसा ही कमजोर भी था। जरा-सी खांसी से हांफने लगता था। अंदर के न जाने किस असाध्य रोग से उसका सम्पूर्ण शरीर भी तेजी से क्षय रोग की ओर दौड़ रहा था। आश्चर्यजनक थी तो केवल उसके उस रुग्ण चेहरे में दो अद्भुत आंखों की दृष्टि। यह आंखें छोटी हैं या बड़ी। लम्बी हैं या गोल। दीप्त हैं या प्रभावहीन-इनका विवरण देने की चेष्टा ही व्यर्थ है। अत्यधिक गहरे जलाशय की भांति उनमें न जाने क्या है? भय लगता है। अपूर्व तो मुग्ध होकर उस ओर देख रहा था। अचानक निमाई बाबू ने उसकी वेश-भूषा की बहार और ठाटबाट पर अपूर्व की दृष्टि आकर्षित करके हंसते हुए कहा, “बाबूजी का स्वास्थ्य तो चला गया है, लेकिन शौक में अभी कोई कमी नहीं आई है, यह तो मानना ही पड़ेगा। क्या कहते हो अपूर्व?”

इतनी देर बाद उसके पहनावे पर नजर डालकर, मुंह फेरकर अपूर्व ने हंसी छिपा ली। उसके सिर पर बड़े-बड़े बाल हैं, लेकिन गर्दन और कानों के पास बिल्कुल नहीं है। सिर में मांग कढ़ी हुई है। बालों में पड़े हुए नींबू के तेल की गंध से कमरा भर उठा है। शरीर पर सिल्क का कुर्ता है। छाती की जेब में से रूमाल का थोड़ा-सा हिस्सा दिखाई दे रहा है। चादर नहीं है। बदन पर विलायती मिल की काली मखमली किनारी की बारीक धोती है। पैरों में हरे रंग के पूरे मोजे हैं, जो घुटनों पर लाल फीते से बंधे हैं, पॉलिश किया हुआ पम्प शू है, पैरों में जिनके तलों को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए लोहे के नाल जड़े हुए हैं। हाथ में हिरण के सींग की मूठवाली बेंत की छड़ी है। इन कई दिनों तक जहाज की भीड़भाड़ में सभी कपड़े गंदे हो गए हैं।

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