ई-पुस्तकें >> परिणीता परिणीताशरत चन्द्र चट्टोपाध्याय
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‘परिणीता’ एक अनूठी प्रणय कहानी है, जिसमें दहेज प्रथा की भयावहता का चित्रण किया गया है।
शेखर सिर हिलाकर हँसता हुआ चला गया। इस लड़के की अवस्था २५-२६ बरस की होगी। एम० ए० पास करके कुछ दिन शिक्षा प्राप्त करने के बाद पारसाल, परीक्षा पास करके, एटर्नी हो गया है। इसके पिता नवीनचन्द्र राय, गुड़ के कारबार में लखपती होकर, कई साल से वह धन्धा छोडकर, घर बैठे तिजारत कर रहे हैं। उनके बड़े लड़के का नाम अविनाश है। वह वकालत करता है। छोटा लड़का यही शेखरनाथ है। राय महाशय का भारी पक्का तिमंजिला मकान मुहल्ले भर में सब इमारतों से ऊँचा था। उसी की एक खुली छत से गुरुचरण के घर की छत मिली होने के कारण दोनो परिवारों में परस्पर बड़ा हेलमेल और गहरी आत्मीयता उत्पन्न हो गई थी। दोर्नो घरों की औरतें इसी राह से आया-जाया करती थीं।
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