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खजाने का रहस्य

कन्हैयालाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9702
आईएसबीएन :9781613013397

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भारत के विभिन्न ध्वंसावशेषों, पहाड़ों व टीलों के गर्भ में अनेकों रहस्यमय खजाने दबे-छिपे पड़े हैं। इसी प्रकार के खजानों के रहस्य

गब्बरसिंह के मन में खुशी की फुलझड़ियाँ छूटने लगीं - अच्छी-खासी रकम तो यही हाथ लगेगी, किन्तु दरोगा शब्द से चिढ़कर- बोला- 'सेठजी मैं एस.एस.पी. हूँ।' सेठ ने नोटों की कुछ गड्डियाँ बाँये हाथ से निकालों और दाँये हाथ में दबी हुई पिस्टल से गब्बरसिंह का भेजा फोड़ दिया।

सरदार को गोली लगते ही पुलिस वेष वाले अन्य डाकू भागने लगे। किन्तु वे चारों ओर से सादे वेष वाली पुलिस से घिरे थे, भागकर कहाँ जाते? पाँच डाकुओं को तो जीवित पकड़ लिया गया और शेष सभी मौत के घाट उतार दिए गए।

पकड़े हुए लोगों की जब पुलिस ने पिटाई की तो उन्होंने अपने अड्डे का पता बता दिया।

पुलिस ने तुरन्त उसके अड्डे पर छापा मारकर भारी मात्रा में हथियार तथा लाला घसीटामल के यहाँ से लूटा गया खजाना बरामद कर लिया। और इतने खून कराने के बाद वह खजाना अन्त में अपने सही स्थान राजकीय-कोष में पहुँच ही गया।

 

प्रिय पाठको!

यही था खजाने का रहस्य। पसन्द आया न?

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(उपन्यास के सभी पात्र व स्थान काल्पनिक हैं)

 

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