लोगों की राय

उपन्यास >> कंकाल

कंकाल

जयशंकर प्रसाद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :316
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9701
आईएसबीएन :9781613014301

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

371 पाठक हैं

कंकाल भारतीय समाज के विभिन्न संस्थानों के भीतरी यथार्थ का उद्घाटन करता है। समाज की सतह पर दिखायी पड़ने वाले धर्माचार्यों, समाज-सेवकों, सेवा-संगठनों के द्वारा विधवा और बेबस स्त्रियों के शोषण का एक प्रकार से यह सांकेतिक दस्तावेज हैं।


इसी तरह से निरंजन, नन्दो और मंगल का मौन भय यमुना के अदृश्य अन्धकार का सृजन कर रहा था। मंगल का सार्वजनिक उत्साह यमुना के सामने अपराधी हो रहा था। वह अपने मन को सांत्वना देता कि इसमें मेरा क्या अन्याय है-जब उपयुक्त अवसर पर मैंने अपना अपराध स्वीकार करना चाहा, तभी तो यमुना ने मुझे वर्जित किया तथा अपना और मेरा पथ भिन्न-भिन्न कर दिया। इसके हृदय में विजय के प्रति इतनी सहानुभूति कि उसके लिए फाँसी पर चढ़ना स्वीकार! यमुना से अब मेरा कोई सम्बन्ध नहीं। वह उद्विग्न हो उठता। सरला दूर से उसके उद्विग्न मुख को देख रही थी। उसने पास आकर कहा, 'अहा, तुम इन दिनों अधिक परिश्रम करते-करते थक गये हो।'

'नहीं माता, सेवक को विश्राम कहाँ अभी तो आप लोगों के संघ-प्रवेश का उत्सव जब तक समाप्त नहीं हो जाता, हमको छुट्टी कहाँ।' सरला के हृदय में स्नेह का संचार देखकर मंगल का हृदय भी स्निग्ध हो चला, उसको बहुत दिनों पर इतने सहानुभूतिसूचक शब्द पुरस्कार में मिले थे।

मंगल इधर लगातार कई दिन धूप में परिश्रम करता रहा। आज उसकी आँखें लाल हो रही थीं। दालान में पड़ी चौकी पर जाकर लेट रहा। ज्वर का आतंक उसके ऊपर छा गया था। वह अपने मन में सोच रहा था कि बहुत दिन हुए बीमार पड़े-काम करके रोगी हो जाना भी एक विश्राम है, चलो कुछ दिन छुट्टी ही सही। फिर वह सोचता कि मुझे बीमार होने की आवश्यकता नहीं; एक घूँट पानी तक को कोई नहीं पूछेगा। न भाई, यह सुख दूर रहे। पर उसके अस्वीकार करने से क्या सुख न आते उसे ज्वर आ ही गया, वह एक कोने में पड़ा रहा।

निरंजन उत्सव की तैयारी में व्यस्त था। मंगल के रोगी हो जाने से सबका छक्का छूट गया। कृष्णशरण जी ने कहा, 'तब तक संघ के लोगों के उपदेश के लिए मैं राम-कथा कहूँगा और सर्वसाधारण के लिए प्रदर्शन तो जब मंगल स्वस्थ होगा, किया जायेगा।'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai