लोगों की राय
उपन्यास >>
कंकाल
कंकाल
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :316
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 9701
|
आईएसबीएन :9781613014301 |
 |
 |
|
2 पाठकों को प्रिय
371 पाठक हैं
|
कंकाल भारतीय समाज के विभिन्न संस्थानों के भीतरी यथार्थ का उद्घाटन करता है। समाज की सतह पर दिखायी पड़ने वाले धर्माचार्यों, समाज-सेवकों, सेवा-संगठनों के द्वारा विधवा और बेबस स्त्रियों के शोषण का एक प्रकार से यह सांकेतिक दस्तावेज हैं।
बिना एक शब्द कहे पादरी के साथ बाथम और घण्टी दोनों उठकर चले जाते हुए बाथम ने एक बार उस बँगले को निराश दृष्टि से देखा, धीरे-धीरे तीनों चले गये।
आरामकुर्सी पर खड़ी हुई लतिका ने एक दिन जिज्ञासा-भरी दृष्टि से सरला की ओर देखा, तो वह निर्भीक रमणी अपनी दृढ़ता में महिमापूर्ण थी। लतिका का धैर्य लौट आया, उसने कहा, 'अब?'
'कुछ चिंता नहीं बेटी, मैं हूँ! सब वस्तु बेचकर बैंक में रुपये जमा करा दो, चुपचाप भगवान् के भरोसे रुखी-सूखी खाकर दिन बीत जायेगा।' सरला ने कहा।
'मैं एक बार उस वृंदावन वाले गोस्वामी के पास चलना चाहती हूँ, तुम्हारी क्या सम्मति है?' लतिका ने पूछा।
'पहले यह प्रबन्ध कर लेना होगा, फिर वहाँ भी चलूँगी। चाय पिओगी? आज दिन भर तुमने कुछ नहीं खाया, मैं ले आऊँ - बोलो हम लोगों को जीवन के नवीन अध्याय के लिए प्रस्तुत होना चाहिए। लतिका! 'सदैव वस्तु रहो' का महामंत्र मेरे जीवन का रहस्य है- दुःख के लिए, सुख के लिए, जीवन के लिए और मरण के लिए! उसमे शिथिलता न आनी चाहिए! विपत्तियाँ वायु की तरह निकल जाती हैं; सुख के दिन प्रकाश के सदृश पश्चिमी समुद्र में भागते रहते हैं। समय काटना होगा, और यह ध्रुव सत्य है कि दोनों का अन्त है।'
परन्तु घण्टी! आज अँधेरा हो जाने पर भी, गिरजा के समीप वाले नाले के पुल पर बैठी अपनी उधेड़बुन में लगी है। अपने हिसाब-किताब में लगी है- मैं भीख माँगकर खाती थी, तब कोई मेरा अपना नहीं था। लोग दिल्लगी करते और मैं हँसती, हँसाकर हँसती। पहले तो पैसे के लिए, फिर चस्का लग गया- हँसने का आनन्द मिल गया। मुझे विश्वास हो गया कि इस विचित्र भूतल पर हम लोग केवल हँसी की लहरों में हिलने-डोलने के लिए आ रहे हैं।
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai