ई-पुस्तकें >> कामायनी कामायनीजयशंकर प्रसाद
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जयशंकर प्रसाद की सर्वश्रेष्ठ रचना
मनु आंख खोलकर पूछ रहे- ''पथ कौन वहां पहुंचाता है?
उस ज्योतिमयी को देव! कहो कैसे कोई नर पाता है?''
पर कौन वहां उत्तर देता! वह स्वप्न अनोखा भंग हुआ,
देखा तो सुंदर प्राची में अरुणोदय का रस-रंग हुआ।
उस लता-कुंज की झिलमिल से हेमाभरश्मि थी खेल रही,
देवों के सोम-सुधा-रस की मनु के हाथों में बेल रही।
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