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संभोग से समाधि की ओर...
उस प्रधान अध्यापक ने कहा कि इस संबंध मे एक ही बात की जा सकती है कि अब बात
को आगे न बढ़ाया जाए, क्योंकि लड़कों से कुछ भी कहना खतरा मोल लेना है। किसी
क्षण भी हड़ताल हो सकती है, अनशन हो सकता है। अब जिसने भी तोड़ा हो, तोड़ा होगा।
आप कृपा करें और बात बंद करें। कोई दो महीने से शांति चल रही है स्कूल में,
उसको भंग करने की कोशिश मत करें। न मालूम कितना फर्नीचर तोड़ डाला है लड़कों
ने। हम चुपचाप देखते रहते हैं। स्कूल की दीवालें टूट रही हैं, हम चुपचाप
देखते रहते हैं, क्योंकि कुछ भी बोलना खतरनाक है। हड़ताल हो सकती है, अनशन हो
सकता है। इसलिए चुपचाप देखने के सिवाय कोई मार्ग नहीं।
वह इंस्पेक्टर तो अवाक्! वह तो आँखें फाड़े रह गया। अब कुछ कहने का उपाय न था।
वह वहां से सीधा स्कूल की जो शिक्षा समिति थी उसके अध्यक्ष के पास गया और
उसने जाकर कहा कि यह हालत है स्कूल की। राम की कथा पढ़ाई जाती है, वहां बच्चा
कहता है कि मैंने शिव का धनुष नहीं तोड़ा शिक्षक कहता है इसी ने तोड़ा होगा,
प्रधान अध्यापक कहता है कि जिसने भी तोड़ा हो, बात को रफा-दफा कर दें, शांत कर
दें। इसे आगे बढ़ाना ठीक नही, हड़ताल हो सकती है। आप क्या कहते हैं?
उस अध्यक्ष ने कहा, ठीक ही कहता है प्रधान अध्यापक। किसी ने भी तोड़ा हो, हम
ठीक करवा देंगे समिति की तरफ से। आप फर्नीचर वाले के यहां भिजवा दें और ठीक
करवा लें। इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं कि किसने तोड़ा। सुधरवाने का उपाय
होगा आपको सुधरवाने की जरूरत है और क्या करना है?
वह स्कूल का इंस्पेक्टर मुझसे ये सारी बातें कहता था। वह मुझसे पूछने लगा कि
क्या स्थिति है यह?
मैंने उससे कहा कि इसमें कुछ बड़ी स्थिति नहीं है। मनुष्य की एक सामान्य
कमजोरी है, वही इस कहानी में प्रकट होती है। और वह कमजोरी क्या है? वह कमजोरी
यह है कि जिस संबंध में हम कुछ भी नहीं जानते हैं उस संबंध में भी हम ऐसौ
घोषणा करना चाहते हैं कि हम जानते हैं। वे कोई भी कुछ नहीं जानते थे कि शिव
का धनुष क्या है? क्या उचित न होता कि वे कह देते कि हमें पता नहीं है कि शिव
का धनुष क्या है। लेकिन अपना अज्ञान कोई भी स्वीकार नहीं करना चाहता है।
मनुष्य-जाति के इतिहास में इससे बड़ी कोई दुर्घटना नही घटी है कि हम अपना
अज्ञान स्वीकार करने को राजी नहीं होते। जीवन के किसी भी प्रश्न के संबंध में
कोई भी आदमी इतनी हिम्मत और साहस नहीं दिखा पाता कि मुझे पता नहीं है। यह
कमजोरी बहुत घातक सिद्ध होती है। सारा जीवन व्यर्थ हो जाता है।
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