ई-पुस्तकें >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं
एक कदम आगे
एक पांव से अपंग झूमर स्कूल से लौटा तो बहुत उदास था। उसका उतरा हुआ चेहरा देखकर मां ने पूछा - झूमर क्या बात है, आज मुंह क्यों लटका रखा है?'
'मां, क्या मैं कभी दौड़ नहीं पाऊंगा?'
'मां ने उसके कंधे से बस्ता उतारकर टेबल पर रख दिया - ऐसी बात नहीं है झूमर... केवल दौडने की बात मत पकड़ो... जिंदगी में सबको आगे बढना होता है। भगवान किसी को कोई चीज नहीं देता तो बदले में कुछ ज्यादा भी दे देता है। भगवान ने बड़ा बनने के लिए तुम्हें तीव्र बुद्धि प्रदान की। बस उसी के लिए दौड़ लगाओ, देखना एकदिन तुम सबसे आगे निकल जाओगे.....।'
सुनकर झूमर का चेहरा खिल उठा।
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