ई-पुस्तकें >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं
बहू नदारद
कॉलेज के कुछ लड़के रेशमा को तंग करने लगे तो एक अपंग भिखारी बीच में आ गया। लड़के भाग जाने के बाद रेशमा भी धन्यवाद करके चली गयी उस दिन के बाद रेशमा प्रतिदिन उसको एक रुपया भीख में देने लगी। जेसे ही रेशमा आती हुई दिखायी देती और उसकी औखो से ओझल हो जाने तक भिक्षुक उसे एकटक देखता रहता।
धीरे धीरे वह सपने बुनने लगा... घर... घरवाली.... डबल भीख.... बच्चे.... परिवार... सुख.... साधन.... ।
तभी कॉलेज से लड़के लड़कियों का जलूस निकला। उनके हाथों में बैनर और पट्टियां थी और वे नारे लगा रहे थे- कन्या को मरवाओगे तो बहू कहाँ से लाओगे। 'जब इन सम्पूर्ण लोगों के लिए लड़की नहीं है तो मुझ अपंग को कैसे मिलेगी - वह सपने से निकलकर अपने भिक्षापात्र की ओर देखने लगा।
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