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हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698
आईएसबीएन :9781613016015

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नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं

लंगड़ी कुतिया


कोई भी गाड़ी उस गली से गुजरती तो लंगड़ी कुतिया भौं-भौं करती हुई उसके पीछे भागती। जब तक गाड़ी गली के मोड़ पर जाकर आँखों से ओझल न हो जाती तब तक वह भौंकती रहती।

जब उसके बच्चे बड़े हुए तो वो भी ऐसा ही करने लगे। ज्यों-ज्यों अधिक गाड़ियों का आना-जाना हुआ वैसे ही लंगड़ी कुतिया के परिवार की संख्या भी बढ़ने लगी।

आज जैसे ही उनकी गाड़ी गुजरी तो सभी जोर-जोर से भौंकते हुए उसके पीछे भागने लगे।

दादू जब कोई गाड़ी जाती है तो ये कुत्ते भौंकते हुए क्यों पीछा करते हे?- रोहण ने अपने दादू से पूछा।

'बेटा किसी गाड़ी वाले ने इस कुतिया के पांवों को कुचल दिया था तब से यह प्रत्येक गाड़ी वाले को भौंकती है- दादू ने गाड़ी चलाते हुए समझाया।

पर दादू क्यों?

उसको डर है कि कोई गाड़ी वाला उसके बच्चों के पांव न कुचल दे इसलिए यह भौंक-भौंक कर गाड़ियों को बाहर निकाल देती है।

गाड़ी लौट जाने के बाद लंगड़ी कुतिया का परिवार इतमिनान से वापस लौट गया।

 

० ० ०

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