ई-पुस्तकें >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं
अनेक संस्थाएं सभी राज्यों के विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिए काम कर रही हैं। जोकि विकलांगों को अनेक सुविधाएँ भी उपलब्ध-प्रदान कराती हैं, जैसे जूते, कृत्रिम अंग, तिपहिए वाहन, घुटने की सुरक्षा के लिए बैशाखी इत्यादि। रोटरी क्लब, रॉयल क्लब, लॉयन क्लब, भारत विकास परिषद जैसी संस्थाए शिविर लगाकर जागरूकता अभियान भी चलाती हैं और अनेक सहायता भी उपलब्ध कराती हैं। ये संस्थाए नेत्र चिकित्सा, पोलियो के ऑपरेशन इत्यादि के लिए भी शिविर लगाती हैं। राजेन्द्र नगर में एक धर्मार्थ अस्पताल है जो कृत्रिम अंग एवं जूते व बैशाखी प्रदान करता है। विशाखापट्टनम का प्रेमा अस्पताल पोलियो के ऑपरेशन के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस अस्पताल के संचालक डॉ. आदि नारायण राव ने महान चिकित्सक व वैज्ञानिक डॉ. एजिला रॉ से इस ऑपरेशन की तकनीक सीखी। डॉ. एजिला रॉ एक ऐसे चिकित्सक रहे हैं जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के महान दुष्परिणाम के फलस्वरूप पैदा हुए विकलांग व्यक्तियों के अस्थि दोष को दूर करने के लिए 'रिंग फिक्शेटर तकनीक' इजाद की जिसमें किसी अंग की लम्बाई को 4 से आठ इंच तक बढ़ाया जा सकता है। इसमें हड्डियों में छेद करके एक विशेष तकनीक से तैयार तार डालकर एक रिंग लगा दिया जाता है। लगभग 2 से 6 माह के अन्दर हड्डी अपना आकार बढ़ा देती है। इसी तकनीक पर आधारित इलाज श्री बाला जी पुरम में भी किसी अस्पताल में किया जाता है।
उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान भी एक संस्था विकलांग बच्चों के ऑपरेशन करती है तथा उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करती है। ऐसी अनेक संस्थाएं हैं जो अलग-अलग रूप से विकलांग हुए व्यक्तियों के लिए सहायता कार्यक्रम चला रही है।
ऐसी ही एक 'प्रांथयासा फाउन्डेशन' नाम की संस्था के बारे में पता चला है कि केरल प्रान्त में कार्य कर रही हैं। जिसके चेयरमेन सर त्रिवन्द्रम विजयन हैं।
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