लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> हौसला

हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698
आईएसबीएन :9781613016015

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

198 पाठक हैं

नि:शक्त जीवन पर 51 लघुकथाएं

समाज की एक ऐसी स्थिति है कि लोग उत्साहित न करके हतोत्साहित करते हैं। ऐसे लोगों को मैं कहता हूँ:-

हम तो दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम हैं,

जिधर भी जायेंगें, उधर रास्ता हो जायेगा।

विकलांग व्यक्ति अपने स्वयं के उद्धार के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं और समाज में जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर सकते हैं'

1. अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर।

2. अपनी आवश्यकताओं को सरकार, अन्य एजेंसी-संस्थाओं के सामने पुख्ता तरीके से रखकर।

3. संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त करके।

4. विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति-सहभागिता दर्ज कराकर। अपने दायित्वों के प्रति जागरूक होकर (अभी देखने में आया है कि विकलांग अपने अधिकारों के प्रति तो जागरूक है लेकिन दायित्वों का उसे पूर्ण ज्ञान भी नहीं है)

5. अपने द्वारा चुने हुए क्षेत्र में अपना पूर्ण योगदान करके उसे सफल बनाना (एक सफल विकलांग कार्यकर्त्ता ही विकलांगों का अच्छा प्रतिनिधि हो सकता है)

6. रोजगार के जो क्षेत्र विकलांगों के लिए खुले हंत उनसे अपनी उपस्थिति शत-प्रतिशत दर्ज कराकर।

7. अपने लिए स्वयं कार्य के अवसर तलाशकर या अवसर उत्पन्न करके।

8. जितना संभव हो सके उतना आत्म निर्भर बनना।

9. अपने दैनिक कार्य बिना किसी की मदद से निपटाकर।

10. समाज में एक तरह के संबंध बनाकर कि समाज या समुदाय के व्यक्ति आपको एक अच्छे तारतम्य वाला व्यक्तित्व माने या

11. समझे। आप स्वयं को समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माने ताकि समाज की आपके बारे में वैसी ही धारणा बनाए।

12. ध्यान रहे आपको रियायत या अनुदान और सुविधाएं नहीं माँगनी वरन् समान अवसर मांगने हैं।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book