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हमारे बच्चे - हमारा भविष्य

स्वामी चिन्मयानंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :31
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9696
आईएसबीएन :9781613012673

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वर्तमान में कुछ काल और जुड़ जाने पर भविष्य बन जाता है। वर्तमान तथा कुछ समय ही भविष्य है।

क्या ऐसा नहीं है?

आजकल बच्चे अनपेक्षित और अनावश्यक रूप से पैदा होते और बढ़ते हैं। माता-पिता को पता नहीं होता कि उनका क्या करें? माता, पिता के बीच कोई आन्तरिक सम्बन्ध नहीं होता। दूध पिलाते समय माँ बच्चे की आँख में गहराई से देखती है और मानसिक स्तर पर बच्चे के साथ मानसिक सम्बन्ध जोडती है। बच्चा भी दूध पीते हुए माँ के मुख की ओर देखता है। दोनों के हृदय में गहन प्रेम-भाव उत्पन्न होता है। किन्तु अब वक्ष-दुग्ध पिलाने की प्रथा ही समाप्त हो गयी है।

स्वस्थ परम्पराओं को फिर वापस लाना होगा। किसी गल्ती से हमने उन्हें छोड दिया था।

अन्तिम बात यह है कि बच्चों को जीवन के उच्च मूल्य सिखा देना ही पर्याप्त नहीं है। हम उन्हें उन मूल्यों को जीवन में धारण करने का साहस लाना भी सिखावें। वे उत्साह के साथ उन मान्यताओं के अनुसार जीवन जी सकें। आज भारत में यह भी बडा महत्त्वपूर्ण विषय है।

यह न समझें कि हम लोगो में बुद्धिमत्ता नहीं है। वह तो है किन्तु दुर्भाग्य से वह शक्तिहीन है। शक्तिहीन बुद्धिमान पुरुष और शक्तिशाली मूर्खों की समाज में एक समान उपयोगिता है। तात्पर्य यह है कि उनका कोई उपयोग नहीं है। किसी में स्वतंत्र चिन्तन की सामर्थ्य नहीं और न वे सरकार को अपने विचार बता सकते हैं। वे चाय, पान की दुकानों पर खडे बड़ी-बड़ी बातें करेंगे किन्तु अपने विचार सरकार के सामने न रखेंगे। इसका कारण यह है कि वे डरते हैं। सरकार की गलत नीतियों का तर्कसंगत विरोध करने में उन्हें अपनी असुरक्षा का भय लगता है। जरा विचार करे, यदि आप डरते हैं तो आपकी प्रबुद्धता में कोई दम नहीं है। वह व्यर्थ है।

सब लोग जानते हैं कि रूस-चीन जैसे देशों में, जहाँ सरकार के विरुद्ध मुँह खोलने का अर्थ है निर्दयता से कुचला जाना, वहाँ भी, नित्य कोई न कोई अपनी आवाज उठाता है। वही सच्चे प्रबुद्ध लोग हैं। सच्चा प्रबुद्ध व्यक्ति अन्याय देखकर चुप नहीं बैठ सकता और वह विरोध के फलस्वरूप होने वाले परिणामों से डरता भी नहीं है।

अत: हम बच्चों को जीवन के उच्च मूल्यों की शिक्षा देने के साथ उन्हें जीवन में साहसपूर्वक धारण करने का बल भी प्रदान करें। यदि हम एक बच्चे को भी ऐसी शिक्षा दे सकें तो हम सिद्ध कर देंगे कि आज के बच्चे ही हमारे भविष्य हैं।

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