आचार्य श्रीराम किंकर जी >> देवदास देवदासशरत चन्द्र चट्टोपाध्याय
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कालजयी प्रेम कथा
देवदास ने विस्मित होकर कहा - 'मारूंगा क्यों?'
'वैष्णवी लोगों ने कहा था कि तुम मारोगे।'
यह बात सुनकर देवदास ने खूब प्रसन्न हो पार्वती के कंधे पर भार देकर कहा - 'दुर! कभी अपराध करने से क्या मैं मारता हूं?'
देवदास ने संभवत: मन में सोचा था कि पार्वती का यह काम उसके पीनल कोड के अंतर्गत नहीं है, क्योंकि तीन रुपये तीन आदमियों के बीच ठीक-ठीक तकसीम कर दिये। विशेषत: जिन वैष्णवी लोगों ने पाठशाला में इबारती सवाल नहीं पढ़ा है, उन्हें तीन रुपये के बदले दो रुपये देना उनके प्रति भारी अत्याचार करना था। फिर वह पार्वती का हाथ पकड़कर छोटे बाजार की ओर गुड्डी खरीदने के लिए चला गया। परेता को वहीं एक झाड़ी में छिपा दिया।
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