ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक पौधे चमत्कारिक पौधेउमेश पाण्डे
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प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है।
शीशम
विभिन्न भाषाओं में नाम
हिन्दी - शीशम या सीसमअसमी - शीशू
बंगला - सिस्सू
गुजराती - शिशम
पंजाबी - सीसम ताहली
कन्नड - बिराडी, बिन्डी, शिस्सू
कोंकणी - बिरोण्डी
मलयालम - वीटी
मराठी - शिसावी
उड़िया - सिसु
अंग्रेजी – Indian Red Wood
लेटिन – Dabergia sissoo
शीशम सर्वत्र पाया जाने वाला एक्र मध्यम श्रेणी का वृक्ष है। असम, उत्तर प्रदेश. मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित सम्पूर्ण भारत में बहुतायत से मिलने वाले इस छायादार वृक्ष को प्राय: सड़कों के किनारे भी लगाया जाता है। यह वृक्ष छोटा, किन्तु सघन, चिकनी, चमकीली पत्तियों वाला एक स्वच्छ दिखाई देने वाला वृक्ष होता है। पत्तियाँ सलंग किनारे एवं नुकीले शीर्षवाली, जालीय विन्यासयुक्त होती हैं। फूल छोटे-छोटे एवं गुच्छों में विकसित होते हैं। फल फलीदार 4 से 8 बीजों वाले होते हैं। इस वृक्ष की लकड़ी अत्यंत मजबूत होती है-- इसीलिये फर्नीचर्स, इमारत आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। क्षत्रिय जाति का यह वृक्ष वनस्पति जगत के लैग्युमिनोसी (Leguminosae) कुल के पेपीलिओनेसी (Papileonaceae) उपकुल में आता है। इसको वनस्पति शास्त्र में डलबर्जिया सिस्सू (Dabergia sissoo) कहते हैं।
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