ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक पौधे चमत्कारिक पौधेउमेश पाण्डे
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प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है।
फालसा
विभिन्न भाषाओं में नाम
हिन्दी - फालसा. परुषाबंगला - फालसा, फालसी
मराठी - फालसा. फालसी
संस्कृत - अल्पष्ठी, नागफला, नीलचर्म
गुजराती - फालसा
नेपाली - स्यालदोसरा
लेटिन – Grewia asiatica
फालसा एक अत्यधिक फलने वाली झाड़ी है। यह 4 मीटर ऊँचाई तक वृद्धि करती है। इसकी शाखाएँ लम्बी-लम्बी एवं दोनों ओर पत्तों वाली तथा काष्ठाय होती हैं। पत्तियाँ पर्याप्त चौड़ी, सरल प्रकार की कटान युक्त किनारों वाली तथा नुकीले शीर्षों वाली होती हैं। ये पत्तियाँ शीतऋतु में झड़ जाती हैं। पत्तियाँ कुछ खुरदरी तथा जालीय विन्यास युक्त होती हैं। इसके पुष्प पीले वर्ण के तथा नियमित होते हैं। फल छोटे-छोटे चने अथवा काबुली चने के बराबर आकार के नम, एक-दो बीज वाले कच्चे रहने पर हरे किन्तु बाद में लाल-बैंगनी-पीले इन वर्णो के मिश्रित वर्ण वाले होते हैं।
ब्राह्मण वर्ण की यह झाड़ी वनस्पति जगत के टिलिएसी (Tiliaceae) कुल में आती है। इसका वनस्पतिशास्त्रीय नाम ग्रेविया एसिएटिका' (Grewia asiatica) है।
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